सशक्त स्त्री
स्वयं रो कर स्वयं चुप हो जाना,
सशक्त व मजबूत स्त्री की पहचान है।
ये तो ज्यादातर स्त्री की कहानी है,
वो कहाँ पुरुषों की तरह महान है।
अपने सुख स्वाभिमान को त्याग कर
परिवार को अहम मानना स्त्री की पहचान है।
उसके भी कुछ सपने है, परिवार से कुछ उम्मीदें है,
परिवार को कहाँ पता है कि स्त्री में भी जान है।
स्त्री को अपना महत्त्व बताना पड़े
और कहने पर परिवार को प्यार जताना पड़े,
वो रिश्ता कहाँ, प्रेम व अभिमान हैं।
स्त्री जब जहाँ रहना चाहती है तो सब त्याग कर रहती है,
ये जानते हुए भी की उसका हर रिश्ता बेजान है।
इसलिए कहा जाता है कि स्त्री महान है।
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