संदेश

श्री बृजपाल मलिक उर्फ मलिक मदहोशी जी की कविताएं लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कारोबार

चित्र
  प्रस्तुत कविता जिसका शीर्षक "कारोबार" है, यह "श्री बृजपाल मलिक उर्फ मलिक मदहोशी जी" की नशा उन्मूलन पर आधारित सुप्रसिद्ध "काव्य संग्रह पुस्तक नशा कैंसर" से ली गई है, जो कि समाज को नशे से दूर रहने और उसे समूल उखाड़ फेंकने के लिए प्रेरित करती है। इतनी सुंदर, प्रेरक और अर्थपूर्ण कविता को इस मंच तक पहुँचाने के लिए मैं श्री बृजपाल मलिक उर्फ मलिक मदहोशी जी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ। क्यों फैला कारोबार, नशा क्यों बिकता है। मत खाओ मेरे यार, जमाना पिसता है।। क्यों फैला..... धीमा जहर है पहचानों, मत खाओ प्यारे इंसानों। जो तुम्हें खिलाना चाहता है, उसकी साजिश को पहचानों।। परिवार में हो तकरार, प्यार कहाँ टिकता है। क्यों फैला..... जहर जो खाना शुरू किया, घर में झगड़े ने जन्म लिया। परिवार रोकता रहा तुझे पर , तूने अपना काम किया।। ना काबू रख पाया खुद पर, ना कभी रोकने से रूकता है। क्यों फैला..... आत्महत्या ही करनी है, जाकर कट जा तू रेल से। नशे के चक्कर में तुझको, कई बार छुड़ाया जेल से।। तिल-तिलकर खुद मरता है, फिर क्यों मरने से डरता है। क्यों फैला..... खुद तो मर जाएगा ज...