मैं हिन्दू हूं

मैं हिन्दू हूं। मैं ही भारत के जड़ चेतन का बिंदु हूं। मैं हिन्दू हूं। मैंने ही सबको शरण दिया, डूबों की नौका पार किया, मैं पर्वत, मैं गगन, मैं ही वृक्ष और सिंधू हूं, मैं हिन्दू हूं। मैं दयावान जग का कल्याण, मैं विश्वगुरू मैं सबका ध्यान। मैं कृष्ण राम का अंश हूं, मै ही भगवा, मैं ही मां धरती का रक्त हूं। जिसने संसार को धर्म दिया, मै उसी धर्म का अक्षर बिंदू हूं। मैं हिन्दू हूं। मैं क्षमावान, मैं दयावान, मैं ही असुरों से बलवान। मैने ही मुगलों, अंग्रेजो को शरण दिया, मैं प्रतिपालक हूं, मैंने ही सबका पोषण किया। किंतु आज शरणागत के लिए, मैं ही किन्तु परन्तु हूं। मैं हिन्दू हूं। मैं ही भारत के जड़ चेतन का बिंदु हूं। मैं हिन्दू हूं।