पत्रकारों के लिए विशेष रचना
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पत्रकारों के लिए विशेष रचना
06/06/2025
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वो खतरों से हैं खेलते।
न जाने क्या क्या झेलते।
चतुर्थ खम्भ देश को,
विकास पर धकेलते।
न झूठ सच को बोलते।
दबी वो बात खोलते।
कि खास आम सबकी ही,
वो नब्ज़ को टटोलते।
समाज की बुराई पर वो कर रहे प्रहार हैं।
वो मीडिया के योद्धा वीर धीर पत्रकार हैं।
हुआ है क्या इधर उधर।
वो ले के आते हैं खबर।
वो दृश्य शांति का ही हो,
या हो कोई प्रखर समर।
लगाते बाज़ी जान की।
है चाह सिर्फ मान की।
बहस करें वो देशहित,
जो बात आए शान की।
समाज के हितों के कार्य करते बार बार हैं।
वो मीडिया के योद्धा वीर धीर पत्रकार हैं।
लगे कलम को थामने।
वो सच को लाते सामने।
वो उनको भी हैं जांचते,
जिन्हें चुना अवाम ने।
हैं धमकियों के शोर से।
घिरे वो चारों ओर से।
वो ना रुकें वो ना थकें,
लगे हैं पूरे ज़ोर से।
मरे तो यह शरीर है न मर सके विचार हैं।
वो मीडिया के योद्धा वीर धीर पत्रकार हैं।
कभी भी वो नहीं बिके।
वो सच पे ही सदा टिके।
वो अपनी कामयाबियों,
को अपने हाथों से लिखे।
वो नींद चैन त्याग कर।
कुवृत्तियों से भागकर।
वो सत्य का अलख जला,
जगाता सबको जागकर।
कि कोशिशों से उनकी ही हुए तो कुछ सुधार हैं।
वो मीडिया के योद्धा वीर धीर पत्रकार हैं।
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स्वरचित मौलिक रचना
रामचन्द्र श्रीवास्तव
कवि, गीतकार एवं लेखक
नवा रायपुर, छत्तीसगढ़
6263926054
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