क्या आप लेखक हैं?

मुझे बचपन से ही मंच पर बोलने का शौक था। कालोनी में और प्राथमिक विद्यालय में सांस्कृतिक कार्यक्रमों में उत्साहपूर्वक भाग लिया करता था और यही क्रम आगे के विद्यार्थी जीवन में भी चलता रहा हालांकि परिवार की ओर से इस विषय के प्रति उदासीनता ही रही। विद्यार्थी जीवन जहाँ एक स्वर्णिम युग की तरह था वहीं बड़े होने पर जिम्मेदारी के बोझ तले मुझे अपने शौक को कैद कर देना पड़ा। इसी तरह जिन्दगी चलती रही लेकिन मेरी कलम भी कभी बहुत कम तो कभी ज्यादा लेकिन निरन्तर चलती रही परन्तु कभी मंच नहीं मिल सका। 45 वर्ष की अवस्था में एक रोज मैं बस में एक काव्य रचना लिख रहा था कि तभी बगल में बैठे हुए अखिलेश तिवारी जी ने मुझसे सवाल किया, "क्या आप लेखक हैं"? और मैंने कहा "हाँ"। बस उसी क्षण से जिन्दगी ने एक नई करवट ली। आज मैं मंच पर काव्य पाठ करता हूँ। मेरी रचनाएँ समाचार पत्रों में भी छपती रहती है। मैं एक साहित्यकार के रूप में कई बार पुरस्कृत एवं सम्मानित हो चुका हूँ। सच है कि किस्मत से ज्यादा और समय से पहले किसी को कुछ नहीं मिलता।