भ्रष्टाचार


 

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भ्रष्टाचार
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भ्रष्टाचारियों की आज देश में भरमार है।
पैसों और ताकत का भूत सिर पे सवार है।
सुबह शाम पैसा खाएं लेते ना डकार हैं।
भेड़ की चमड़ी ओढ़ ढूंढते शिकार हैं।

पैसों और ताकत...

दफ्तर है सरकारी, लुटती जनता बेचारी।
घूस ले के काम करें, वरना करें मक्कारी।
पेट है गुब्बारे सा, खा के घुस की कमाई,
ऐसा लगे जैसे फट पड़ने को तैयार है।

पैसों और ताकत...

लॉलीपॉप, मीठी गोली दें चुनावी वादों में।
जनता की शक्ल तक न रखते अपनी यादों में।
वोट पूर्व रोडपती, जीत कर करोड़पति,
ये सफेदपोश जानें कैसा चमत्कार है।

पैसों और ताकत...

खाकी वर्दी, काला कोट, जाने कब किसे दें चोट।
भ्रष्टाचार के पुरोधा, नीयत में जिनकी खोट।
पक्ष और विपक्ष में ये भेदभाव के बिना ही,
दोनों को ही लूटने में दोनों ही शुमार है।

पैसों और ताकत...

जाली काम, फर्जीवाड़ा, करते देश का कबाड़ा।
जनता जनार्दन का चूसते हैं खून गाढ़ा।
इस तरह के कर्म कर के रोज बद्दुआएं लेना,
"राम" कहे इस तरह से जीने पे धिक्कार है।

पैसों और ताकत...

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स्वरचित मौलिक रचना
रामचन्द्र श्रीवास्तव
कवि, गीतकार एवं लेखक
नवा रायपुर, छत्तीसगढ़
संपर्क सूत्र: 6263926054
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