गुरु पूर्णिमा: श्रद्धा और सम्मान का पर्व


गुरु पूर्णिमा: श्रद्धा और सम्मान का पर्व

परिचय

गुरु पूर्णिमा एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है जो गुरु और शिष्य के बीच के पवित्र संबंध का प्रतीक है। यह पर्व भारतीय संस्कृति में ज्ञान, शिक्षा और गुरु के महत्व को रेखांकित करता है। गुरु पूर्णिमा हिंदू, जैन और बौद्ध धर्मों में मनाई जाती है। यह आषाढ़ महीने की पूर्णिमा के दिन पड़ती है, जो आमतौर पर जून या जुलाई में आती है।


गुरु पूर्णिमा का महत्व

गुरु पूर्णिमा का मुख्य उद्देश्य गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान व्यक्त करना है। "गुरु" का अर्थ है अज्ञानता के अंधकार को दूर करने वाला और "पूर्णिमा" का अर्थ है पूर्ण चंद्रमा की रात। इस दिन, शिष्य अपने गुरु को उनके मार्गदर्शन और शिक्षा के लिए धन्यवाद देते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह पर्व भारतीय शिक्षा प्रणाली में गुरु के सर्वोच्च स्थान को दर्शाता है।


ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व

गुरु पूर्णिमा का इतिहास और धार्मिक महत्व भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस दिन को विभिन्न धर्मों में अलग-अलग कारणों से मनाया जाता है:

1. हिंदू धर्म: गुरु पूर्णिमा महर्षि वेद व्यास की जयंती के रूप में मनाई जाती है। महर्षि वेद व्यास ने वेदों का संकलन किया था और महाभारत की रचना की थी। इसलिए, उन्हें "आदि गुरु" माना जाता है और उनकी पूजा की जाती है।

2. बौद्ध धर्म: बौद्ध धर्म में, गुरु पूर्णिमा को भगवान बुद्ध द्वारा अपने पहले धर्मोपदेश (धर्म चक्र प्रवर्तन) के दिन के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, बुद्ध ने अपने पाँच शिष्यों को सारनाथ में ज्ञान प्रदान किया था।

3. जैन धर्म: जैन धर्म में, गुरु पूर्णिमा को भगवान महावीर द्वारा गौतम स्वामी को अपना प्रथम शिष्य बनाने के दिन के रूप में मनाया जाता है।


गुरु पूर्णिमा का उत्सव

गुरु पूर्णिमा के दिन, शिष्य अपने गुरु के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। इस दिन के प्रमुख उत्सव इस प्रकार हैं:

1. गुरु पूजा: शिष्य अपने गुरु की पूजा करते हैं और उन्हें फूल, मिठाई और उपहार अर्पित करते हैं। यह पूजा गुरु के प्रति श्रद्धा और सम्मान का प्रतीक है।

2. ध्यान और साधना: कई लोग इस दिन विशेष ध्यान और साधना करते हैं। यह आत्म-शुद्धि और आध्यात्मिक प्रगति का समय माना जाता है।

3. भाषण और प्रवचन: विभिन्न आश्रमों और धार्मिक संस्थानों में गुरु द्वारा प्रवचन और भाषण दिए जाते हैं, जिसमें जीवन के महत्वपूर्ण सिद्धांतों और शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला जाता है।

4. सामूहिक भजन और कीर्तन: भक्त सामूहिक रूप से भजन और कीर्तन गाते हैं, जिससे आध्यात्मिक वातावरण का निर्माण होता है।


आधुनिक समय में गुरु पूर्णिमा

आज के समय में भी गुरु पूर्णिमा का महत्व कम नहीं हुआ है। आधुनिक शिक्षा प्रणाली में भी शिक्षक (गुरु) का स्थान महत्वपूर्ण है। शिक्षक अपने छात्रों को ज्ञान और संस्कार प्रदान करते हैं, जिससे उनका सर्वांगीण विकास होता है। इस दिन, छात्र अपने शिक्षकों को धन्यवाद देते हैं और उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं।


अंततः

गुरु पूर्णिमा हमें हमारे जीवन में गुरु के महत्व को समझने और उन्हें सम्मान देने का अवसर प्रदान करता है। यह पर्व हमें यह सिखाता है कि ज्ञान का स्रोत हमारे गुरु हैं और उनका मार्गदर्शन हमें सही दिशा में ले जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन, हम सभी को अपने गुरु के प्रति आभार व्यक्त करना चाहिए और उनके आशीर्वाद से अपने जीवन को सुसज्जित करना चाहिए।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

आज, अभी नशे का सामान छोड़ दीजिए

पत्रकारों के लिए विशेष रचना

सबके पास कुछ ना कुछ सुझाव होना चाहिए।