हिन्दी संरक्षण क्यों आवश्यक है?

 



हिन्दी संरक्षण क्यों आवश्यक है?


"हिन्दी संरक्षण क्यों आवश्यक है?" यह आज के दौर में समझने, जाँचने और विचार करने योग्य महत्वपूर्ण प्रश्न है। हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा, मातृभाषा होने के साथ साथ हमारी संस्कृति व परम्पराओं की परिचायक भी है। महात्मा गांधी जी के शब्दों में कहा जाए तो राष्ट्रभाषा के बिना राष्ट्र गूंगा है और इसमें कोई अतिशयोक्ति भी नहीं है। यदि बात हिन्दी के संरक्षण की आती है तो हमें लॉर्ड मैकाले के इस सिद्धांत को भी नहीं भूलना चाहिए कि किसी भी राष्ट्र को गुलाम बनाए रखने के लिए या कमज़ोर करने के लिए उस राष्ट्र की संस्कृति, ज्ञान एवं भाषा पर कुठाराघात किया जाना आवश्यक है और इसमें उनकी सफलता जग जाहिर है।


आज के समय में अधिकाधिक संख्या में लोग हिन्दी की तुलना में अंग्रेजी भाषा को महत्व देते है। इसी तरह देखा जाए तो कुछ राज्यों में क्षेत्रीय भाषी लोग हिन्दी भाषी लोगों से मारपीट तक करते नजर आते है, जिसका ताज़ा उदाहरण महाराष्ट्र है। हमारा हिन्दी से दोयम दर्जे का व्यवहार करना, हमारी अपनी ही जड़ों से दूर होना है और एक छोटा बच्चा भी इतना जानता है कि जड़ों के बिना पेड़ का कोई अस्तित्व नहीं इसलिए हिन्दी का संरक्षण नितांत आवश्यक हो जाता है। आइए आगे हम हमारी प्यारी हिन्दी भाषा के लुप्तप्राय होने के कारणों और उत्थान के उपायों पर नजर डालते हैं।


हिन्दी भाषा लुप्तप्राय होने के कारण:


अंग्रेज़ी भाषा को हिन्दी भाषा की तुलना में श्रेष्ठता देना एक प्रमुख कारण है और इसके परिणाम जो कि हिन्दी भाषा को लुप्तप्राय करने की ओर अग्रसर हैं, निम्नलिखित है:


  • ‌हिन्दी विषय के प्रति छात्रों में रुचि की कमी। 
  • ‌आधुनिक शिक्षा प्रणाली में हिन्दी का कम महत्व।  
  • ‌सरकारी और निजी क्षेत्र में अंग्रेज़ी का प्रसार।  
  • ‌हिन्दी में तकनीकी व वैज्ञानिक पठन सामग्री की कमी।
  • ‌हिंग्लिश (हिन्दी+अंग्रेज़ी मिश्रित भाषा) का बढ़ता चलन।  
  • ‌हिन्दी साहित्य और भाषा के प्रति जनमानस की उदासीनता।  
  • ‌हिन्दी समाचार-पत्रों एवं बोलचाल में अंग्रेज़ी शब्दों का अधिक उपयोग।  
  • ‌इंटरनेट व मोबाइल पर अंग्रेज़ी का प्रभुत्व। 
  • ‌सामाजिक और पारिवारिक वातावरण में हिन्दी का कम प्रयोग।  
  • ‌माता-पिता द्वारा बच्चों को अंग्रेज़ी माध्यम शिक्षा दिलवाना।  
  • ‌हिन्दी साहित्य और सांस्कृतिक कार्यक्रमों को कम प्राथमिकता मिलना।  
  • ‌अंग्रेज़ी को अवसरों और आर्थिक प्रगति का माध्यम मानना।  
  • ‌विदेशी संस्कृतियों एवं भाषाओं का प्रभाव।  
  • ‌हिंदी भाषा को पुरानी और पिछड़ी भाषा समझना।  
  • ‌अंग्रेजी भाषा का हिन्दी भाषा पर अधिग्रहण देख कर क्षेत्रीय भाषाओं का भी हिन्दी भाषा पर अधिग्रहण करने का कुत्सित प्रयास करना।


हिन्दी भाषा के उत्थान के उपाय:


यदि हिन्दी के संरक्षण को युद्ध स्तर पर कार्य न किए गए तो हिन्दी की दशा और भी दयनीय हो जाएगी। हिन्दी के उत्थान को कुछ उपाय जो कि कारगर सिद्ध हो सकते हैं, निम्नलिखित है:


  • ‌हिन्दी माध्यम शिक्षा प्रणाली को प्रोत्साहित करना।  
  • ‌रोजगार और सरकारी कार्यों में हिन्दी के प्रयोग को बढ़ावा देना।  
  • ‌हिन्दी साहित्य और संस्कृति को जन-जन तक पहुंचाना।    
  • ‌तकनीकी, वैज्ञानिक और व्यावसायिक सामग्री का हिन्दी में अनुवाद करना और उपलब्ध कराना।  
  • ‌हिंग्लिश के स्थान पर शुद्ध हिन्दी का प्रचार करना।  
  • ‌मीडिया (टीवी, फ़िल्म, रेडियो) में हिन्दी का अधिक प्रयोग।  
  • ‌इंटरनेट और डिजिटल मंच पर हिन्दी सामग्री का विकास।  
  • ‌हिन्दी भाषा में शोध एवं अकादमिक कार्यों के लिए वित्तीय सहायता।  
  • ‌हिन्दी भाषा के महत्व को स्कूलों और परिवार में समझाना।  
  • ‌हिन्दी दिवस और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन।  
  • ‌सरकारी नीतियों में हिन्दी को अधिक प्राथमिकता देना।  
  • ‌युवाओं में हिन्दी बोलने व लिखने का उत्साह बढ़ाना।  
  • ‌क्षेत्रीय भाषाओं के साथ हिन्दी का सहयोग और सह-अस्तित्व सुनिश्चित करना।  
  • ‌हिन्दी भाषा के प्रति सकारात्मक मानसिकता विकसित करना।  
  • ‌हिन्दी को आधुनिकता और विकास की भाषा बनाना।  


तो, आइए हम सब संकल्प लें कि हमारी पूजनीय माँ समान हिन्दी भाषा के गौरवशाली अध्याय को पुनः स्थापित करेंगे। अपनी जड़ों की ओर लौटेंगे, अपनी संस्कृति को नैतिकता का खाद पानी देकर सीचेंगे और फिर से एक महान वटवृक्ष में बदल जाएंगे, जिसके प्रत्येक पत्ते पर लिखा होगा "महान राष्ट्र की महान भाषा हिन्दी"।


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स्वरचित मौलिक रचना

रामचन्द्र श्रीवास्तव

कवि, गीतकार एवं लेखक

नवा रायपुर, छत्तीसगढ़

संपर्क सूत्र: 6263926054

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