लाल कफन
जिन्होंने मुझे लाल कफन में दफना दिया।।
मैं क्यों मुस्कुराऊं उनके कहने पर।
जिन्होने मुझे रोना और उदास रहना सिखा दिया।।
मैं क्यों उनके हिसाब से जीऊं।
जिन्होने मुझे जिंदा लाश बना दिया।।
बताओं मुझे, मैं क्यो कठपुतली बन जाऊं।
किसी साहब की, मुझे लाल कफन पहना दिया।।
मैं क्यों तनिक दुख बर्दाश्त करूं उनके लिये,
जिन्होंने अपने जीवन में मेरा न. बाद मे रखा है।
मेरी खिलखिलाती मुस्कान को सिर्फ विवाद मे रखा है।।
मै क्यों उनके साथ समझोता करूं,
जो मेरे सब कहने पर भी मुझे नहीं समझ पाते।
दुख में साथ मांगते मेरा और सुख में मुझे खोजने नहीं आते।।
उन्हें माननी होगी ये बात उन्होंने मेरा हंसना भुला दिया।
बड़े ही शातिर थे वे शख्स, मुझे लाल कफन में दफना दिया।।
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