होली आई रे
होली आई रे, होली आई रे,
रंगों के त्यौहार की सबको बधाई रे।
होली आई रे।
होली की रात पिछली, मिष्ठान की तैयारी।
रंगीन कल के सपने, देखें सभी नर नारी।
महिलाएं कुछ किचन में गुझिया बना रही हैं।
होली की है तैयारी, गप्पे लड़ा रही है।
कोई लोई बनाता है, लगा कोई बेलने।
भरता है कोई, कोई तल रहा है तेल में।
गुझिया भी बन गई है, सब लोग सो गए हैं।
होली के रंग बिरंगे सपनों में खो गए हैं।
चेहरे पे थकन उनके न देती दिखाई रे।
होली आई रे।
होली की भोर है, बच्चों का शोर है।
उल्लास ही उल्लास दिखता चारों ओर है।
पिचकारी कहीं है तो कहीं रंग भरे गुब्बारे।
बच्चे है रंग बिरंगे, होली खेलते सारे।
युवक भी कम नहीं हैं, टोली बनाए हैं।
जा के अबीर सबको घर घर लगाए हैं।
बूढों का पूछना क्या? सबकी खुशी में खुश हैं।
है सबके दिल में खुशियां, महिला है या पुरुष है।
घर में सभी के खुशियों की सौगात आई रे।
होली आई रे।
कीचड़ में कुछ हैं डूबे, कुछ डूबे रंग में हैं।
सुध बुध भुला के दिख रहे, कुछ डूबे भंग में हैं।
कुछ हैं बहुत नशे में, गाड़ी चला रहे हैं।
ना जाने कितने घर के दिए बुझा रहे हैं।
त्यौहार यह मिलन का, फिर क्यों बिछड़ रहे हैं?
कुछ आड़ में त्यौहार की, हद से बिगड़ रहे हैं।
समझाना इनको होगा, इनको बचाना होगा।
होली की पवित्रता को घर घर फैलाना होगा।
होली के दिन ना रोए , बीवी, बहन या माई रे।
होली आई रे।
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