विश्व काव्य दिवस


 
**विश्व काव्य दिवस **

रोना हंसना, गाना चिल्लाना,
शाश्वत गुण है, मानव का।
न जाति धर्म का, बंधन है,
न सीमाएं बनी, बंधन इसका।

बिना शब्दों की, रचना के,
गीत न कोई, बन पाता।
गीत हुआ मुखरित, शब्दों से,
वही काव्य, है कहलाता।

भावों की अभिव्यक्ति, है कविता,
पाषाण को भी, पिघला देती।
बड़ी बड़ी दरारें, पल में,
खुद मरहम करती, भर देती।

मत मतांतर, देश काल के,
उलझे हुए, रिश्ते जो हों।
प्रबल शक्ति है, कविता में,
हर उलझन, सुलझा देता वो।

विश्व काव्य दिवस, का मतलब,
मानव का, एक सूत्र होना।
बैर भाव सब, छोड़ो पीछे,
आओ कविता, रचें सलोना।  

✍️ विरेन्द्र शर्मा

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