घाव

 


मुझसे कुछ ना कहो,

मन के घाव गहरे हैं।

अच्छे स्वभाव की उम्मीद ना करो,

मन में क्रोध के पहरे हैं।।


आप सब वही हो,

जिन्होंने मुझे घाव दिया है।

गुनाह मेरा ये है कि मैंने,

प्रेम का छांव दिया है।।


बड़ा दिल दुख गया है मेरा,

शब्द मन में ठहरे हैं।

अच्छे स्वभाव की उम्मीद ना करो,

मन में क्रोध के पहरे हैं।।


सभी से अच्छा व्यवहार करूं,

ये मेरा स्वभाव है।

सब इसके लायक नहीं,

इसलिये मन में घाव है।।


और मजबूत बन सकूं,

इसलिये क्रोध का ताव है।

मेरे मन के घाव का कारण,

मेरा अपना स्वभाव है।।

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