नशा नाश की जड़ है

 


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नशा नाश की जड़ है

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देसी पी के नाली में पड़े हैं बरखुरदार।

इंग्लिश पी के इंग्लिश में बतियाते धुंआधार।


गुटका खा के करते हैं दीवारों को बेकार।

सिगरेट के धुंए के छल्ले छोड़ें लगातार।


सड़कों पे गलियों में होती है छीछालेदार।

चढ़ते ही नशा ये तो बन जाते नम्बरदार।


सारे नशेड़ी मिल के लगाते हैं दरबार।

गाली गप्पड़ है इनका पसंदीदा हथियार।


नशे की खातिर करते ये घर में अत्याचार।

माँ बहनों को पीटें जब हो पैसे की दरकार।


रात को मोहल्ले में मचाएं हाहाकार।

इनकी खबरों से सुबह पटे हैं अखबार।


दारू पी के गाड़ी भी चलाएं फुल रफ्तार।

रोको टोको इनको तो लड़ मरने को तैयार।


गंदगी अभियान के महान पैरोकार।

नशा नाश की जड़ है पर ये कहते अमृत धार।


खैनी रगड़ें होठ में दबाएं ये सरकार।

पहले मजा बाद में हैं कैंसर के बीमार।


नशे के कारण हो जाते हैं ये कर्जेदार।

और गिर जाता है इनका जो ऊंचा था किरदार।


नशे की गिरफ्त में ही बदले है व्यवहार।

करते चोरी लूटमार और बलात्कार।


दूर हो जाते हैं इनसे सारे रिश्तेदार।

और तन्हा रह जाता है इनका ही परिवार।


नशा नाश की जड़ है लाओ खुद में ही सुधार।

परिवार को दो तुम अपने जीवन का उपहार।


नशा मुक्त जीवन को अपनाओ मेरे यार।

देश की तरक्की में बन जाओ भागीदार।


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स्वरचित मौलिक रचना

रामचन्द्र श्रीवास्तव

कवि, गीतकार एवं लेखक

नवा रायपुर, छत्तीसगढ़

संपर्क सूत्र: 6263926054

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