बेटियां
बेटियां
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आजकल कहते कन्या उपहार।
लक्ष्मी का अवतार।
कन्या के जन्म पर देते हैं बधाई।
कहते हैं आपके घर नन्हीं परी आई।
एक वो भी दिन था।
मार देते थे भ्रूण के रूप में।
जला देते थे दुल्हन के रूप में।
एक आज का दिन है।
बेटियों को पढ़ाया जा रहा है।
कॉपी किताब दिलाया जा रहा है।
पहले बंद रखते थे मकान में।
आज उड़ती है खुले आसमान में।
आजादी ऊंचा और ऊंचा उड़ने की।
पढ़ लिख कर कुछ करने की।
हिम्मत बुलंदियों को छू जाने की।
अपने पंखों को ज्यादा से ज्यादा फैलाने की।
आओ इस आजादी का स्वागत करें।
बदलाव को स्वीकारने की हिम्मत करें।
इस आजादी का गुणगान करें।
आओ बेटियों का सम्मान करें।
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स्वरचित मौलिक रचना
अर्चना श्रीवास्तव
कवयित्री
रायपुर, छत्तीसगढ़
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