तुम्हारी ख्वाहिशें तो खूबसूरत सी परी है
तुम्हारी ख्वाहिशें तो खूबसूरत सी परी है
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तुम्हारी ख्वाहिशें तो खूबसूरत सी परी है।
तुम्हारी मंजिलें ज़ंजीर में जकड़ी पड़ी है।
कि जिस पर एक बड़ा आलस्य का ताला पड़ा है।
तू कुछ करके बता मुर्दा है कि जिंदा खड़ा है।
तेरी उम्मीद नन्ही सी परी आई है बन कर।
तेरी किस्मत के पन्ने खोलना चाहे जो तन कर।
वहाँ पर एक टालमटोल का ताला लगा है।
तू कुछ कर के बता कि सो रहा है या जगा है।
तेरे सपनों में आ के एक परी कुछ बोलती है।
वो तेरी खुशियों के पन्ने ज़रा से खोलती है।
पुराने दर्द की ज़ज़ीर और ताला वहाँ पर।
तुम अपने आप से पूछो खड़े हो तुम कहाँ पर।
तेरा सच तो तुझे आज़ाद करना चाहता है।
मगर तू खुद के ही भीतर कहीं डूबा हुआ है।
सुनहरे हर्फ से लिखी गुलामी की कहानी।
बता क्या चाहता था ऐसी ही तू ज़िन्दगानी?
तू सुन ले ध्यान दे चाबी तेरे ही पास तो है।
वो ताला तेरे आगे कुछ नहीं तू खास तो है।
कर्म कर दौड़ चल तुझको सफल होना पड़ेगा।
यूं तालों बंद किताबों में बता कब तक रहेगा?
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स्वरचित मौलिक रचना
रामचन्द्र श्रीवास्तव
कवि, गीतकार एवं लेखक
नवा रायपुर, छत्तीसगढ़
संपर्क सूत्र: 6263926054
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