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लघुकथा (चोर)

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रविवार होने के कारण आज देर तक सोया रहा क्योंकि मेरे जैसे नौकरीपेशा व्यक्ति के लिए रविवार ही अंधे की लाठी होता है। छह दिन तो अंधेरे मुँह उठकर तैयार होकर सिर पर पाँव रखकर ऑफिस भागना पड़ता है जहाँ बॉस और सीनियर नाक में दम किए रहते हैं परन्तु एक दिन मैं घोड़े बेच कर सोता हूँ। यह रविवार भी चार दिन की चांदनी की तरह कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता। यह रविवार भी कुछ ऐसा ही था। मैं अपने बिस्तर पर पड़ा चैन की बंशी बजा रहा था कि अचानक बाहर के शोर से मेरे रंग में भंग पड़ गया और मैने अक्ल के घोड़े दौड़ाने शुरू कर दिए। जब किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचा तो उधेड़बुन में मैं घर से बाहर आ गया। मैंने देखा कि सामने एक बारह तेरह वर्ष का लड़का है जिसके चेहरे पर हवाइयां उड़ रही है और कुछ लोगों की भीड़ उसकी गर्दन पर सवार थी फिर भी वह लड़का भीड़ के सामने घुटने नहीं टेक रहा था। मैंने जिज्ञासावश घटना के बारे में जानना चाहा तो भीड़ में से किसी व्यक्ति ने बताया कि यह लड़का चोर है और यह लाला जी की दुकान से पाँच सौ चालीस रुपए चुरा कर नौ दो ग्यारह होना चाहता था परन्तु हमने मिल कर इसे पकड़ लिया। उस व्यक्ति ने आगे कहा कि...

मैं हिन्दू हूं

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  मैं हिन्दू हूं। मैं ही भारत के जड़ चेतन का बिंदु हूं। मैं हिन्दू हूं। मैंने ही सबको शरण दिया, डूबों की नौका पार किया, मैं पर्वत, मैं गगन, मैं ही वृक्ष और सिंधू हूं, मैं हिन्दू हूं। मैं दयावान जग का कल्याण, मैं विश्वगुरू मैं सबका ध्यान। मैं कृष्ण राम का अंश हूं, मै ही भगवा, मैं ही मां धरती का रक्त हूं। जिसने संसार को धर्म दिया, मै उसी धर्म का अक्षर बिंदू हूं। मैं हिन्दू हूं। मैं क्षमावान, मैं दयावान, मैं ही असुरों से बलवान। मैने ही मुगलों, अंग्रेजो को शरण दिया, मैं प्रतिपालक हूं, मैंने ही सबका पोषण किया। किंतु आज शरणागत के लिए, मैं ही किन्तु परन्तु हूं। मैं हिन्दू हूं। मैं ही भारत के जड़ चेतन का बिंदु हूं। मैं हिन्दू हूं।

तुम्हारी ख्वाहिशें तो खूबसूरत सी परी है

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 ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ तुम्हारी ख्वाहिशें तो खूबसूरत सी परी है ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ तुम्हारी ख्वाहिशें तो खूबसूरत सी परी है। तुम्हारी मंजिलें ज़ंजीर में जकड़ी पड़ी है। कि जिस पर एक बड़ा आलस्य का ताला पड़ा है। तू कुछ करके बता मुर्दा है कि जिंदा खड़ा है। तेरी उम्मीद नन्ही सी परी आई है बन कर। तेरी किस्मत के पन्ने खोलना चाहे जो तन कर। वहाँ पर एक टालमटोल का ताला लगा है। तू कुछ कर के बता कि सो रहा है या जगा है। तेरे सपनों में आ के एक परी कुछ बोलती है। वो तेरी खुशियों के पन्ने ज़रा से खोलती है। पुराने दर्द की ज़ज़ीर और ताला वहाँ पर। तुम अपने आप से पूछो खड़े हो तुम कहाँ पर। तेरा सच तो तुझे आज़ाद करना चाहता है। मगर तू खुद के ही भीतर कहीं डूबा हुआ है। सुनहरे हर्फ से लिखी गुलामी की कहानी। बता क्या चाहता था ऐसी ही तू ज़िन्दगानी? तू सुन ले ध्यान दे चाबी तेरे ही पास तो है। वो ताला तेरे आगे कुछ नहीं तू खास तो है। कर्म कर दौड़ चल तुझको सफल होना पड़ेगा। यूं तालों बंद किताबों में बता कब तक रहेगा? ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ स्वरचित मौलिक रचना रामचन्द्र श्रीवास्तव कवि, गीतकार एवं लेखक नवा रायपुर, छत्तीसगढ़ संपर्क सूत्र: 6263926054 ┈┉...

बेटियां

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 ************************ बेटियां ************************ आजकल कहते कन्या उपहार। लक्ष्मी का अवतार। कन्या के जन्म पर देते हैं बधाई। कहते हैं आपके घर नन्हीं परी आई। एक वो भी दिन था। मार देते थे भ्रूण के रूप में। जला देते थे दुल्हन के रूप में। एक आज का दिन है। बेटियों को पढ़ाया जा रहा है। कॉपी किताब दिलाया जा रहा है। पहले बंद रखते थे मकान में। आज उड़ती है खुले आसमान में। आजादी ऊंचा और ऊंचा उड़ने की। पढ़ लिख कर कुछ करने की। हिम्मत बुलंदियों को छू जाने की। अपने पंखों को ज्यादा से ज्यादा फैलाने की। आओ इस आजादी का स्वागत करें। बदलाव को स्वीकारने की हिम्मत करें। इस आजादी का गुणगान करें। आओ बेटियों का सम्मान करें। ************************ स्वरचित मौलिक रचना अर्चना श्रीवास्तव कवयित्री रायपुर, छत्तीसगढ़ ************************

तू मेरा अक्स है मुझ पर गया है

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  ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ तू मेरा अक्स है मुझ पर गया है ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ तू मेरी ज़िन्दगी का आईना है। तू मेरा अक्स है मुझ पर गया है। मेरा दिल तो तुम्हारे बीच ही है, बदन मेरा मगर दफ्तर गया है। न मिलना चाहता था मैं दुबारा, मगर वो आज फिर मिल कर गया है। वफादारी की कसमें खा रहा था, वो मुझको लूट अपने घर गया है। है मुझसे खौफ में मेरा ही कातिल, मेरे किस्सों को सुन कर डर गया है। वो मेरे कत्ल का सामान ले कर, ज़रा ढूंढो कहां पर मर गया है। ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ स्वरचित मौलिक रचना रामचन्द्र श्रीवास्तव कवि, गीतकार एवं लेखक नवा रायपुर, छत्तीसगढ़ संपर्क सूत्र: 6263926054 ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈

सफलता

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  ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ सफलता ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ सफलता को ज़रूरी है सफलता की प्रबल इच्छा। सफलता को ज़रूरी सुनियोजित और सही शिक्षा। सफलता को ज़रूरी है बदलना अपनी आदतें। सफलता को ज़रूरी है चुनें हम नेक रास्ते। सफलता को ज़रूरी है कि अपने लक्ष्य को जानो। कोई कहता हो कर सकते नहीं पर तुम नहीं मानो। सफलता के लिए विश्वास कर और छोड़ घबराना। सफलता को ज़रूरी है तेरा हद से गुजर जाना। सफलता की है जननी असफलता याद रखना। सफलता चाहिए तो असफलता को भी चखना। सफलता को ज़रूरी है इरादा भी सबल हो। जो करना है अभी करना न फिर यह आजकल हो। सफलता के लिए खुद का अटल रहना जरूरी है। सफलता के लिए घर से निकल रहना जरूरी है। सफलता चाहते हो तो निरन्तर कर्म करना है। हुनर को सीखना संघर्ष में तप कर निखरना है। सफलता प्राप्त होती है कभी छीनी नहीं जाती। सफलता चंचला रुकती नहीं रोकी नहीं जाती। सफलता टिक सके लंबे समय तक ये हुनर सीखो। सभी से प्रेम से बोलो मदद करना बशर सीखो। प्रयासों में कमी करना नहीं तू धैर्य धारण कर। सुबह उठ रोज अपने लक्ष्य का ऊंचा उच्चारण कर। सफलता के बहुत से मायने हैं व्यक्ति आधारित। वही सच्ची सफलता है हो जिससे सर्वजन का हित...

हो सफल

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********** हो सफल ********** हो प्रबल, हो अटल, हो अचल, हो सफल। कह रहा, धरातल, कर्म कर, हो सफल। हो सबल, पी गरल, आ निकल, हो सफल। आज अभी, ना हो कल, रुक न तू, हो सफल। तू सम्हल, तू बदल, ना चपल, हो सफल। ********** स्वरचित मौलिक रचना अर्चना श्रीवास्तव कवयित्री नवा रायपुर, छत्तीसगढ़ **********