तू मेरा अक्स है मुझ पर गया है

┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ तू मेरा अक्स है मुझ पर गया है ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ तू मेरी ज़िन्दगी का आईना है। तू मेरा अक्स है मुझ पर गया है। मेरा दिल तो तुम्हारे बीच ही है, बदन मेरा मगर दफ्तर गया है। न मिलना चाहता था मैं दुबारा, मगर वो आज फिर मिल कर गया है। वफादारी की कसमें खा रहा था, वो मुझको लूट अपने घर गया है। है मुझसे खौफ में मेरा ही कातिल, मेरे किस्सों को सुन कर डर गया है। वो मेरे कत्ल का सामान ले कर, ज़रा ढूंढो कहां पर मर गया है। ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ स्वरचित मौलिक रचना रामचन्द्र श्रीवास्तव कवि, गीतकार एवं लेखक नवा रायपुर, छत्तीसगढ़ संपर्क सूत्र: 6263926054 ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈