तुम्हारा प्यार
तुम्हारा प्यार
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तुम्हारा प्यार बारिश है, जिसकी हर एक बूंद,
मेरे मन के, वन की, दावाग्नि को, बुझा देती है।
तुम्हारा प्यार हवा का झोंका है, जिसकी गति,
मेरे अवगुणों को, मुझसे, बहुत दूर, उड़ा देती है।
तुम्हारा प्यार सागर है, जिसमें उठी भंवर,
मेरे समूचे व्यक्तित्व को, खुद में, समा लेती है।
तुम्हारा प्यार नदी की धारा है, जिसकी लहर,
मुझे अपने आगोश में, समेट कर बहा लेती है।
तुम्हारा प्यार मासूम हंसी ठिठोली है, जिसकी हरकत,
तुम्हारे साथ, मुझे भी, शरारती बच्चा बना देती है।
तुम्हारा प्यार लोरी है, जिसकी मनमोहक लय,
मेरे भीतर के, बच्चे को, शांत कर, सुला देती है।
तुम्हारा प्यार चलचित्र है, जिसकी दृश्यावली,
मुझसे, मेरे व्यक्तित्व की, पहचान करा देती है।
तुम्हारा प्यार मनोरम गीत है, जिसकी संगीत ध्वनि,
मुझ भावहीन को, भावपाश में डाल, संग नचा देती है।
तुम्हारा प्यार चांदनी है, जिसकी शीतलता,
आंखों को, ठंडक दे, थपथपा कर, सुला देती है।
तुम्हारा प्यार सूरज की पहली किरण है, हर सुबह,
जो मेरे चेहरे पर पड़, सहला कर, मुझे उठा देती है।
तुम्हारा प्यार गुरुत्वाकर्षण है, जिसकी चुंबकीय शक्ति,
मुझे पूर्ण रूप से खींच कर मुझे अपना बना लेती है।
तुम्हारा प्यार आंचल है, जिसमें समा जाता है सारा जहां,
जिसमें स्त्री, नवनिर्माण कर, पूरी दुनिया बसा लेती है।
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स्वरचित मौलिक रचना
रामचन्द्र श्रीवास्तव
कवि, गीतकार एवं लेखक
नवा रायपुर, छत्तीसगढ़
संपर्क सूत्र: 6263926054
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