तेरे ही साथ अब जाना
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तेरे ही साथ अब जाना
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तेरे ही साथ अब जाना मुझे हर शाम रहना है।
तेरी हर बात को तुझसे ओ मेरे यार कहना है।
तेरी सांसों में धड़कन में मेरे दिलदार बहना है।
नहीं जीना जुदा होकर जुदाई अब न सहना है।
तेरे ही साथ अब जाना मेरी ये जिंदगानी है।
मुझे हर शाम बस तेरी ही बाहों में बितानी है।
अमर जो इश्क करना है जरूरी आग पानी है।
मुहब्बत के परिंदे हम ये रब की मेहरबानी है।
तेरे ही साथ अब जाना मुझे तो चलते जाना है।
मेरा हर शाम तेरा दिल तेरा दिल ही ठिकाना है।
ज़माने ने मुहब्बत को कहाँ कब ठीक माना है।
तेरी दुनिया है मुझमें और मेरा तुझमें ज़माना है।
तेरे ही साथ अब जाना तू मुझको बात करने दे।
मुझे पहचानना है ग़र तो आंखों में उतरने दे।
तू मुझको थाम के दिल में ज़रा मुझको ठहरने दे।
मैं एक तस्वीर टूटी सी उठा मुझको संवरने दे।
तेरे ही साथ अब जाना उमर सारी बिता लूंगा।
मैं हर एक शाम यादों की किताबों में छिपा लूंगा।
तेरे नखरे उठाऊंगा मैं आखिर तक निभा लूंगा।
तू मेरा साथ दे देना मैं हर हिम्मत जुटा लूंगा।
तेरे ही साथ हर शामें टहलना चाहता है दिल।
न हो गर साथ तेरा तो मेरा जीना भी है मुश्किल।
तू ही दरिया तू ही कश्ती तू दोनों पार का साहिल।
सफ़र मेरा तेरी खातिर तू मेरी आखिरी मंजिल।
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स्वरचित मौलिक रचना
रामचन्द्र श्रीवास्तव
कवि, गीतकार एवं लेखक
नवा रायपुर, छत्तीसगढ़
6263926054
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