कारोबार
क्यों फैला कारोबार,
नशा क्यों बिकता है।
मत खाओ मेरे यार,
जमाना पिसता है।।
क्यों फैला.....
धीमा जहर है पहचानों,
मत खाओ प्यारे इंसानों।
जो तुम्हें खिलाना चाहता है,
उसकी साजिश को पहचानों।।
परिवार में हो तकरार,
प्यार कहाँ टिकता है।
क्यों फैला.....
जहर जो खाना शुरू किया,
घर में झगड़े ने जन्म लिया।
परिवार रोकता रहा तुझे पर ,
तूने अपना काम किया।।
ना काबू रख पाया खुद पर,
ना कभी रोकने से रूकता है।
क्यों फैला.....
आत्महत्या ही करनी है,
जाकर कट जा तू रेल से।
नशे के चक्कर में तुझको,
कई बार छुड़ाया जेल से।।
तिल-तिलकर खुद मरता है,
फिर क्यों मरने से डरता है।
क्यों फैला.....
खुद तो मर जाएगा जल्दी,
परिवार में हाहाकार मचे।
जिन रास्तों पर तू बहक गया,
वो रास्ते हमको नहीं जँचे।।
दे छोड़ नशे दुनियां भर के,
दिल जिनके लिए धड़कता है।
क्यों फैला.....
अब भी है वक्त नहीं निकला,
कर बंद नशा खोरी अपनी।
डॉक्टर से करा इलाज अभी,
बच जाए जान तेरी अपनी।।
जीने का सलीका सीख मलिक,
जीने के लिए तरसता है।
क्यों फैला.....
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