चमचा




ख्वाहिशों के ये बाजार में बस

बेचते रहते झूठी उम्मीदें

नाम इनका है मशहूर "चमचा"

शान में पढ़ते रहते कसीदे


काम से इनको मतलब नहीं है

सब किया मैंने, कहना यही है

फिक्र इनको नही रहती कोई

होठों पर फिक्र का जिक्र ही है


करना हो उनको साबित जो खुद को

फाड़ दें कितनी झूठी रसीदें

नाम इनका है मशहूर "चमचा"

शान में पढ़ते रहते कसीदे


राजनीति यही खेलते हैं

साथ वाले इन्हें झेलते हैं

इनको इज्जत की परवाह न कोई

सीनियर डांटते, पेलते हैं


इनको भर-भर के मिलती है गाली

रोज होते हैं उनके फजीते

नाम इनका है मशहूर "चमचा"

शान में पढ़ते रहते कसीदे


ख्वाहिशों के ये बाजार में बस

बेचते रहते झूठी उम्मीदें

नाम इनका है मशहूर "चमचा"

शान में पढ़ते रहते कसीदे


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

आज, अभी नशे का सामान छोड़ दीजिए

पत्रकारों के लिए विशेष रचना

सबके पास कुछ ना कुछ सुझाव होना चाहिए।