मेला

अपनो की भीड़ में,

तेरा मन अकेला है।

कैसे तुझे बताऊं जीवन में,

सुख कम दुख का मेला है।।


कुछ क्षण आए होगें तेरे जीवन में,

जिसे तेरे मन ने रो रो के झेला है।

तेरी आँखें नम होकर कह रही थी,

तू अपनों की भीड़ में अकेला है।।


तेरे पास भी मेरे जैसे,

नाम के रिश्ते होगें।

बस मन को इतना समझा,

इनमें कुछ फरिश्ते होंगे।।


तुझे प्यार मिला तो,

तेरे भाव जाग गये।

नम आँखें बता रही थी,

दिल के घाव भाग गये।।

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