देखा नहीं गया
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खुद के अंदर खुद का मरना देखा नहीं गया
ख्वाबों का यूं मातम करना देखा नहीं गया
हम आए थे शहर तुम्हारे कल तुमसे मिलने
मिले बगैर ही हिजरत करना देखा नहीं गया
कैसी कैसी चाहत मेरी तुमसे हैं इश्क में
हर चाहत का रोज बिखरना देखा नहीं गया
कोई न कोई नया घाव जिस्म को हर एक दिन है
रोजाना एक ज़ख्म निखरना देखा नहीं गया
कभी कभी तो कुछ थोड़ी खुशियां घर आती हैं
अब इस तरीके घर संवरना देखा नहीं गया
धीरे धीरे एक एक सांसें रोज घट रही
बूंद बूंद का दरिया भरना देखा नहीं गया
चाट गई है सुकून नींद मेरी वो एक सूरत
इन हालों दिन रात गुजरना देखा नहीं गया
भीड़ में मेरा चर्चा "जदीद" अब तो रहने दो
मुझसे यूं अजमत का उतरना देखा नहीं गया
Insta ID - @jadeed_nazmkaar
Link - https://www.instagram.com/jadeed_nazmkaar?utm_source=qr&igsh=NzBud2hxNzhkOHo5
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