अभिभावक
प्रिय अभिभावक,
आप वो सड़क हैं
जो खुद एक जगह रहकर,
सबको मंजिल तक पहुंचाते हैं।
मेरे जीवन में,
वो मिठास है आप,
जो दिखते नहीं पर
मंजिल की और प्रेम से ले पाते हैं।
आपका संयम और संघर्ष,
हम जैसों को,
वृक्ष में लिपटे,
बेल की तरह उठाते हैं।
आप एक जगह रहकर,
हमें मंजिल तक पहुंचाते हैं।।
आप हमारे बीच में रहकर,
हमें उठना, बढ़ना,
संघर्ष व मर्यादा के साथ
मेहनत की सीढ़ी पर चढ़ाते हैं।
सड़क की तरह एक जगह रहकर,
हमें मंजिल तक पहुंचाते हैं।।
मैं अनीता झा अपने अभिभावक की आभारी हूँ।
आपकी कृपा से शिक्षित हूँ, मैं बारम्बार आभारी हूँ।
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