हाल-ए-दिल

 


हाले दिल बयां करना, 

       कही इल्जाम न हो जाए।

मेरा जज्बे बयां सुनके, 

       कोई कोहराम न हो जाए।


सोचना भी अब तो जुर्म, 

         बोलने की तो क्या कहें।

खुल गए अगर जो लब्ज़,

       न कत्ल ए आम हो जाए।


बनावट की ये दुनिया है,

      बनावट आता नहीं हमको।

जो सच है बोल जाते हैं,

       मगर भाता न दुनिया को।


चलो कुछ ऐसा करते हैं,

         अभी कुछ झूठ ही बोलें।

गिले शिकवे के चलते देखो,

         सुबह से शाम ना हो जाए।

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