कौन हैं ये लोग

संयम ने मुझ‌को मौन किया,
क्रोध ने छीने लोग।
संघर्ष ने बल दिया,
तनाव ने दिया है रोग।।

सारा खेल इच्छाओं का है,
वरना सब संयोग।
जो मिला उससे खुश नहीं,
जो नहीं उसका वियोग।।

मैं मानव,
अपनें दायरे से ज्यादा मांगू।
तभी शायद,
लगता है तन को रोग।।

मुझे मानना होगा सत्य,
समय और प्रत्यक्ष लोग।
जरा पहचानना होगा,
मुझे उदास करने वाले,
कौन हैं ये लोग।।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

आज, अभी नशे का सामान छोड़ दीजिए

पत्रकारों के लिए विशेष रचना

सबके पास कुछ ना कुछ सुझाव होना चाहिए।