अपने हृदय से पूछ लो

**अपने हृदय से पूछ लो** अपने हृदय से पूछ लो, खुद से, धोखा तो, नही कर रहा। जो गलत है उसे सही समझ, कहीं उसी, राह तो, नही चल रहा। जिसे अपना स्वार्थ समझ रहा, कहीं वही, उसे तो, नही छल रहा। जिसके लिए धड़क रहा दिल, वह कहीं, और तो, नहीं टहल रहा। रौशनी जहां से ढूंढ रहे हो, दीपक कहीं, वहां से दूर तो, नहीं जल रहा। पकड़ कर जिसे रक्खे हो मुट्ठी में, कहीं रेत की, तरह तो, ना फिसल रहा। अरमान तुम्हारे महफूज है ? कहीं मोमबत्ती, की तरह तो, न पिघल रहा। तसल्ली कर लो एक बार राह की, कहीं गलत, राह पर तो, नहीं चल रहा। ✍️ विरेन्द्र शर्मा