मन

 


**मन**


बड़ा  ही   चंचल, होता  है  मन,

नित्य  विचरते,  रहता   है  मन।

सोने  पर  भी, शांत   न   होता,

सपनो  में  भी,भटकता  है मन।


इसे   साधना, बड़ा  ही  दुष्कर,

द्रुत  गति  से,  चलता   है  मन।

एक  जगह  यह, टिक  ना पाए,

करले  कोई,कितना भी साधन।


मन  का   रिश्ता, सांसों  से  है,

ऋषियों   ने,   यह    बतलाया।

सांस  सधे  तो, मन  सध जाए,

ध्यान    योग,   जो    अपनाए।


सांसों    के,  आवागमन    पर,

सूक्ष्म   नियंत्रण, करना  होगा।

ध्यान  योग  में, बैठ  के  स्थिर,

शांत  चित्त  को, करना  होगा।


सांसें  बंधी तो, मन  बंध  जाय,

मन  बंधे  तो, सांसें  बंध जाय।

एक  सधे तो, दोनो  सध जाय,

मन   साधन  का, यही  उपाय।


✍️ विरेन्द्र शर्मा

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