जो राम वनवास न जाते तो



 ** जो राम वनवास न जाते तो **

यदि माता कैकेयी, ना होती,
तो राम वनवास, नहीं जाते।
ना ही सीता, हरण हुआ होता,
ना रावण ही, मारा जाता।

ऐसी बहुत सी भ्रांतियां, बहुधा,
मानव मन में, लगा उठने।
समझ में जिसकी, जो आया,
अपनी अपनी सोच, रखा उसने।

कृष्ण ने कहा, सुनो अर्जुन,
जो कहते युद्ध नहीं, करोगे तुम।
तब भी सब, मारे जायेंगे,
किसी भ्रम में नहीं, पड़ो ना तुम।

भगवदगीता का, हरेक शब्द,
ब्रह्म से निकला, ज्ञान है।
होनी तो पहले से, तय होता,
कर्म प्रेरणा से, होता संज्ञान है।

यदि राम, वनवास नहीं जाते,
तो राजा राम, मृगया को जाते।
तब भी, सीता हरण होता,
रावण फिर भी, मारा जाता।

पर वानर और, वन वासियों को,
राम का अभिराम, कहां मिलता।
ऋषि मुनि तपस्वियों को, अरण्य में,
प्रभु दर्शन कहां, सुलभ होता।

ईश्वर आते, अपने भक्तों की,
ऋषि मुनियों की, त्राण मिटाने को।
मानवता का, पाठ पढ़ाने को,
जीवों में भेद, मिटाने को।

जो दृष्टांत रामायण, में लिखा हुआ,
उसे यथारूप, अपनाओ तुम।
भ्रमित कहानियां, कह लिख कर,
यूं भ्रांतियां, ना फैलाओ तुम।

✍️ विरेन्द्र शर्मा

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