दो बूंद गिरी मेरी आँखों से, मैं अश्क कहूँ या पानी।




दो बूंद गिरी मेरी आँखों से,

मैं अश्क कहूँ या पानी।

कुछ दर्द है मेरे सीने में,

उस दर्द की है ये निशानी।


समझाया बहुत इस दिल को था,

बर्बाद इसे होना था हुआ,

दिल तो आवारा बादल है

करे कौन इसकी निगरानी।


कुछ दर्द है मेरे सीने में,

उस दर्द की है ये निशानी।


दिल टूट गया, बाकि न रहा,

अरमान कोई भी जीने का,

शिकवा भी करें तो किससे करें,

खुद की है ये नाफ़रमानी।


कुछ दर्द है मेरे सीने में,

उस दर्द की है ये निशानी।


गुमनाम हुए, बदनाम हुए,

हम प्यार में पागल हो बैठे,

हमें देख ज़माना कहता है,

है प्यार बड़ी नादानी।


कुछ दर्द है मेरे सीने में,

उस दर्द की है ये निशानी।

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