अक्सर खामोश लब हो तो आंखें जरा सुन सको तो कुछ बोलती हैं।
अक्सर खामोश लब हो तो आंखें जरा सुन सको तो कुछ बोलती हैं।
आंखों को गहराई से गर पढ़ो तो सुन "राम" वो राज-ए-दिल खोलती हैं।।
1
मीठी है बोली, गुड़ की डली है, बातों में उनकी मिश्री घुली है।
बचना तू ऐ "राम" मीठी जुबां से मीठी जुबां ही ज़हर घोलती है।।
2
जरा सोच लो और थोड़ा समझ लो तभी "राम" दुनिया से कुछ बात बोलो।
तू अनजान है जानता ही नहीं है कि दुनिया जुबां से तुझे तोलती है।।
3
चारों तरफ झूठ-ओ-गारत का मेला खड़ा है यहां सिर्फ सच ही अकेला।
तू ऐ "राम" सच पर कहां तक चलेगा कि तूती यहां झूठ की बोलती है।।
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