पांडिचेरी विलय दिवस

शुभेच्छा देता सहर्ष मैं।
एक नवंबर शुभ दिन था वह,
उन्नीस सौ चौवन के वर्ष में।।
पुलकित पांडिचेरी वासी,
जन से जन का संग बना था।
हो स्वतंत्र पांडिचेरी,
भारत भू का फिर अंग बना था।।
लौट चले उपनिवेशवादी,
चले फ्रांसीसी अपने घर को।
वर्ष तीन सौ जिए जो डर डर,
जीत गए वो अपने डर को।।
तोड़ गुलामी की जंजीरें,
हर्ष और उल्लास मनाया।
और स्वतंत्र भारत का घर घर,
शान तिरंगा लहराया।।
पांडिचेरी विलय दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं
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