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जून, 2025 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

तुम्हारा प्यार

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 ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ तुम्हारा प्यार ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ तुम्हारा प्यार बारिश है, जिसकी हर एक बूंद, मेरे मन के, वन की, दावाग्नि को, बुझा देती है। तुम्हारा प्यार हवा का झोंका है, जिसकी गति, मेरे अवगुणों को, मुझसे, बहुत दूर, उड़ा देती है। तुम्हारा प्यार सागर है, जिसमें उठी भंवर, मेरे समूचे व्यक्तित्व को, खुद में, समा लेती है। तुम्हारा प्यार नदी की धारा है, जिसकी लहर, मुझे अपने आगोश में, समेट कर बहा लेती है। तुम्हारा प्यार मासूम हंसी ठिठोली है, जिसकी हरकत, तुम्हारे साथ, मुझे भी, शरारती बच्चा बना देती है। तुम्हारा प्यार लोरी है, जिसकी मनमोहक लय, मेरे भीतर के, बच्चे को, शांत कर, सुला देती है। तुम्हारा प्यार चलचित्र है, जिसकी दृश्यावली, मुझसे, मेरे व्यक्तित्व की, पहचान करा देती है। तुम्हारा प्यार मनोरम गीत है, जिसकी संगीत ध्वनि, मुझ भावहीन को, भावपाश में डाल, संग नचा देती है। तुम्हारा प्यार चांदनी है, जिसकी शीतलता, आंखों को, ठंडक दे, थपथपा कर, सुला देती है। तुम्हारा प्यार सूरज की पहली किरण है, हर सुबह, जो मेरे चेहरे पर पड़, सहला कर, मुझे उठा देती है। तुम्हारा प्यार गुरुत्वाकर्षण है, जिसकी चुंबकीय शक्ति...

राम में रम गए

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┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ दिनांक: 21/06/2025 ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ राम में रम गए, रम हुए राममय। राम में ही रमे, सब जगत के विषय। ब्राह्मण का वेश धरे। मित्र का संताप हरे। बजरंगी मिलने आए राम लखन से। भान हुआ प्रभु का जब। भूल गए सुध बुध सब। चरण छुए, गले मिले, गदगद मन से। भक्त का ईश में हो रहा है विलय। राम में ही रमे, सब जगत के विषय। राम में रम गए, रम हुए राममय। राम में ही रमे, सब जगत के विषय। माँ जानकी ढूंढें। हर जीव से पूछें। अपनी व्यथा भक्त से कह रहे। दोनों ही सुनते हैं। दोनों हो कहते हैं। दोनों ही तो भाव में बह रहे। राम पालक हैं और शिव स्वयं हैं प्रलय। राम में ही रमे, सब जगत के विषय। राम में रम गए, रम हुए राममय। राम में ही रमे, सब जगत के विषय। ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ स्वरचित मौलिक रचना रामचन्द्र श्रीवास्तव कवि, गीतकार एवं लेखक नवा रायपुर, छत्तीसगढ़ 6263926054 ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈

तलाशी

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  ।।तलाशी।। शिक्षक  शिष्य  की,  बात   चली  तो, एक    वाकिया  आज,  बतलाता   हूं। शिक्षक   शिष्य  के, मधुर  रिश्ते   का, एक   अनुपम   दर्शन,   करवाता   हूं। शिक्षक जी के, क्लास  में   एक  दिन, एक   छात्र   की,   घड़ी    हुई   चोरी। घड़ी   रखी    थी,  टेबल   पर    जब, किसी  छात्र ने  ही, हाथ  उसमे  फेरी। हुई    शिकायत,   कक्षा   शिक्षक   से, उन्होंने  शीघ्र, घटना का  लिया संज्ञान। सब  बच्चों  को, कमरे  में  रोक लिया, तलाशी  का  शुरू,   किया  अभियान। बोले सब  कर लो, अपनी  आंखें  बंद, एक  एक  की  अभी,  तलाशी   लूंगा। हिदायत  बस  कोई,  न  खोले  आंख, तलाशी  न जब...

अनुपस्थिति

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  अनुपस्थिति (ना होना) अनुपस्थिति झुठला देती है उपस्थिति के स्वाभिमान को। अनुपस्थिति झुठला देती है उपस्थिति के स्वाभिमान को।। उपस्थिति कुछ नही कह पाती अनुपस्थिति बलवान को। अनुपस्थिति बर्बाद कर देती है उपस्थिति के सम्मान को।। अनुपस्थिति ने कहाँ छोड़ा राम, कृष्ण भगवान को। उपस्थिति जरूरी है शब्दों से कर्म से मर्यादा से स्वयं के निर्माण को।। अनुपस्थिति तहस नहस कर देती है इन्द्रियों के निर्माण को। उपस्थिति स्वयं चाहिए थी राम कृष्ण भगवान को।। अनुपस्थिति ने तोड़ दिया था राम कृष्ण भगवान को। उपस्थिति के साथ अनुपस्थिति का सही ज्ञान होना चाहिए हर इंसान को। ।

परिवार

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 ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ परिवार ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ खुली आंखों से दिखता है उसे संसार कहते हैं। बिना शर्तों के मिलता है उसी को प्यार कहते हैं। गिले शिकवे भुला कर भी खड़े जो साथ रहते हैं । सम्हाले और न गिरने दे उसे परिवार कहते हैं। कि पहला प्यार माता है जगत जिसने दिखाया है। किसी माँ ने न बच्चों को कभी भूखा सुलाया है। पड़ी जब धूप की बदली तो आंचल में छिपाया है। ज़रूरत में खड़ा आगे तो माता को ही पाया है। पिता का प्यार दुनिया में हमें चलना सिखाता है। अगर थोड़ा भटक जाएं सही रस्ता दिखाता है। पिता निष्ठुर है इस खातिर वो माँ से कम ही भाता है। अगर माँ जन्म देती है पिता जीवन चलाता है। बहन भाई किसी को भी तो अच्छे से समझते हैं। वो जितना प्यार करते हैं वो उतना ही झगड़ते हैं। वो पहले दोस्त जो अपने हमें जीवन में मिलते हैं। वो जितना हो सके हमको दुखों से दूर रखते हैं। कि पत्नी आती है परिवार की खुशियां बढ़ाती है। वो एक घर बार को तज कर हमें अपना बनाती है। सभी को खुश करे ऐसे जतन हर आजमाती है। वो घर की लक्ष्मी घर को करीने से सजाती है। कि छोटे बच्चों से घर अंगना गूंजे है किलकारी। बने हैं बाप हम पत्नी बनी बैठी है महतारी। लि...

पत्रकारों के लिए विशेष रचना

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  ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ पत्रकारों के लिए विशेष रचना 06/06/2025 ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ वो खतरों से हैं खेलते। न जाने क्या क्या झेलते। चतुर्थ खम्भ देश को, विकास पर धकेलते। न झूठ सच को बोलते। दबी वो बात खोलते। कि खास आम सबकी ही, वो नब्ज़ को टटोलते। समाज की बुराई पर वो कर रहे प्रहार हैं। वो मीडिया के योद्धा वीर धीर पत्रकार हैं। हुआ है क्या इधर उधर। वो ले के आते हैं खबर। वो दृश्य शांति का ही हो, या हो कोई प्रखर समर। लगाते बाज़ी जान की। है चाह सिर्फ मान की। बहस करें वो देशहित, जो बात आए शान की। समाज के हितों के कार्य करते बार बार हैं। वो मीडिया के योद्धा वीर धीर पत्रकार हैं। लगे कलम को थामने। वो सच को लाते सामने। वो उनको भी हैं जांचते, जिन्हें चुना अवाम ने। हैं धमकियों के शोर से। घिरे वो चारों ओर से। वो ना रुकें वो ना थकें, लगे हैं पूरे ज़ोर से। मरे तो यह शरीर है न मर सके विचार हैं। वो मीडिया के योद्धा वीर धीर पत्रकार हैं। कभी भी वो नहीं बिके। वो सच पे ही सदा टिके। वो अपनी कामयाबियों, को अपने हाथों से लिखे। वो नींद चैन त्याग कर। कुवृत्तियों से भागकर। वो सत्य का अलख जला, जगाता सबको जागकर। कि कोशिशों से उनकी...

तुम्हें बारिश में जब देखूं

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 ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ तुम्हें बारिश में जब देखूं ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ तुम्हें बारिश में जब देखूं तो दिल मेरा बहकता है। बहुत कुछ चाहता कहना मगर थोड़ा ठिठकता है। तेरा वो खेलना बारिश में और रह रह के मुस्काना। मेरा दिल देख के तुझको महकता और चहकता है। तुम्हें बारिश में जब देखूं नज़र जाती है मेरी थम। मेरी धड़कन है बढ़ जाती नहीं होती ज़रा भी कम। तुम्हारे बाल गीले हैं तुम इनको जब झटकती हो। लगे मुझको तो कुछ ऐसा मेरा निकलेगा दम हमदम। तुम्हें बारिश में जब देखूं तो खुद से दूर होता हूँ। तुम इतनी खूबसूरत हो कि मैं मग़रूर होता हूँ। मैं टिक सकता नहीं जाना न सूरत में न सीरत में। मगर तेरा है शुकराना तुझे मंज़ूर होता हूँ। तुम्हें बारिश में जब देखूं मैं काबू में नहीं रहता। मैं खुद को रोक लेता हूँ मगर तुमसे नहीं कहता। ये जैसे बूंद बारिश की बदन से बह के गिरती है। यूं ही चाहूं कि मैं पागल रहूँ तेरे संग ही बहता। तुम्हें बारिश में जब देखूं ये दिल मदहोश हो जाए। तेरी साड़ी के आंचल को ये दिल छूना ज़रा चाहे। तेरा दीदार करती है नज़र नजरें छुपा कर के। कहीं ऐसा न हो सारा मेरा गुम जोश हो जाए। तुम्हें बारिश में जब देखूं मेरे अरमां ...

तेरे ही साथ अब जाना

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  ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ तेरे ही साथ अब जाना ┈┉┅━❀꧁꧂❀━┅┉┈ तेरे ही साथ अब जाना मुझे हर शाम रहना है। तेरी हर बात को तुझसे ओ मेरे यार कहना है। तेरी सांसों में धड़कन में मेरे दिलदार बहना है। नहीं जीना जुदा होकर जुदाई अब न सहना है। तेरे ही साथ अब जाना मेरी ये जिंदगानी है। मुझे हर शाम बस तेरी ही बाहों में बितानी है। अमर जो इश्क करना है जरूरी आग पानी है। मुहब्बत के परिंदे हम ये रब की मेहरबानी है। तेरे ही साथ अब जाना मुझे तो चलते जाना है। मेरा हर शाम तेरा दिल तेरा दिल ही ठिकाना है। ज़माने ने मुहब्बत को कहाँ कब ठीक माना है। तेरी दुनिया है मुझमें और मेरा तुझमें ज़माना है। तेरे ही साथ अब जाना तू मुझको बात करने दे। मुझे पहचानना है ग़र तो आंखों में उतरने दे। तू मुझको थाम के दिल में ज़रा मुझको ठहरने दे। मैं एक तस्वीर टूटी सी उठा मुझको संवरने दे। तेरे ही साथ अब जाना उमर सारी बिता लूंगा। मैं हर एक शाम यादों की किताबों में छिपा लूंगा। तेरे नखरे उठाऊंगा मैं आखिर तक निभा लूंगा। तू मेरा साथ दे देना मैं हर हिम्मत जुटा लूंगा। तेरे ही साथ हर शामें टहलना चाहता है दिल। न हो गर साथ तेरा तो मेरा जीना भी है मुश्किल...