सर मोक्षगुंडम विश्वैश्वरैया, जिन्हें आधुनिक भारतवर्ष का विश्वकर्मा भी कहा जाता है। (अभियंता दिवस पर विशेष)

 भारतवर्ष में अभियंता दिवस कब और क्यों मनाया जाता है? 

प्रत्येक वर्ष 15 सितंबर को भारतवर्ष में अभियंता दिवस के रूप  मनाया जाता है। इस दिन भारतवर्ष में सभी अभियंताओं एवं उनके द्वारा किये गये कार्यों को याद करके उनके सम्मान स्वरूप इस दिवस को मनाया जाता है। इसके अतिरिक्त 15 सितंबर एक महापुरुष की जन्म दिवस भी है जो कि एक उच्चकोटि के महान अभियंता थे और उनका नाम है सर मोक्षगुंडम विश्वैश्वरैया जिन्हें आधुनिक भारतवर्ष का विश्वकर्मा भी कहा जाता है। उन्होने ब्रिटिश शासनकाल से लेकर स्वतंत्रता प्राप्ति  के बाद तक कार्य किया और इस कार्यकाल में उन्होंने कई महान उपलब्धियां भी हासिल की। सन 1955 में उन्हें भारतवर्ष के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गयाl भारत सरकार द्वारा सन 1968 में सर मोक्षगुंडम विश्वैश्वरैया को मरणोपरांत उनके द्वारा किए गए महान कार्यों के लिए श्रद्धांजली प्रदान करने हेतु उनकी जन्म तिथि को अभियंता दिवसघोषित किया गया और तभी से प्रत्येक वर्ष उन्हीं की याद में हम अभियंता दिवस मनाते है।
जीवन परिचय

विश्वैश्वरैया का जन्म 15 सितम्बर को 1861 में मैसूर रियासत में हुआ थाl इनके पिता श्रीनिवास शास्त्री संस्कृत विद्वान और आयुर्वेदिक चिकित्सक थेl इनकी माता वेंकचाम्मा एक धार्मिक महिला थीl जब विश्वैश्वरैया 15 साल के थे, तब उनके पिता का देहांत हो गया थाl चिकबल्लापुर से इन्होंने प्राथमिक शिक्षा पूर्ण की और आगे की पढाई के लिए वे बैंगलौर(आज का बैंगलुरु) चले गएl 1881 में विश्वैश्वरैया ने मद्रास यूनिवर्सिटी के सेंट्रल कॉलेज, बैंगलौर से बीए की परीक्षा पास कीl इसके बाद मैसूर सरकार से उन्हें सहायता मिली और उन्होंने पूना के साइंस कॉलेज में अभियांत्रिकी के लिए दाखिला ले लियाl 1883 में LCE और FCE की परीक्षा (ये परीक्षा आज के समय के BE की तरह है) में उनका पहला स्थान आयाl

महत्वपूर्ण अभियांत्रिकी कार्य

अभियांत्रिकी पास करने के बाद विश्वैश्वरैया को बॉम्बे सरकार की ओर से नासिक में सहायक अभियंता के रूप में काम करने का अवसर मिलाl एक अभियंता के रूप में उन्होंने बहुत से अद्भुत काम कियेl उन्होंने सिन्धु नदी से पानी की सप्लाई सुक्कुर गाँव तक करवाई, साथ ही एक नई सिंचाई प्रणाली ब्लाक सिस्टमको शुरू कियाl इन्होने बाँध में इस्पात के दरवाजे लगवाए, ताकि बाँध के पानी के प्रवाह को आसानी से रोका जा सकेl उन्होंने मैसूर में कृष्णराज सागर बांध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाईl ऐसे बहुत से और कार्य विश्वैश्वरैया ने किये, जिसकी सूची अंतहीन हैl

 1903 में पुणे के खड़कवासला जलाशय में बाँध बनवायाl इसके दरवाजे ऐसे थे जो बाढ़ के दबाब को भी झेल सकते थे, और इससे बाँध को भी कोई नुकसान नहीं पहुँचता थाl इस बांध की सफलता के बाद ग्वालियर में तिगरा बांध एवं कर्नाटक के मैसूर में कृष्णा राजा सागरा (KRS) का निर्माण किया गयाl कावेरी नदी पर बना कृष्णा राजा सागरा को विश्वैश्वरैया ने अपनी देख रेख में बनवाया थाl जब इस बांध का निर्माण हो रहा था तब एशिया में यह सबसे बड़ा जलाशय थाl

अन्य महत्वपूर्ण कार्य

विश्वैश्वरैया को मॉडर्न मैसूर स्टेट का पिता कहा जाता हैl इन्होने जब मैसूर सरकार के साथ काम किया तब उन्होंने वहां मैसूर साबुन फैक्ट्री, परजीवी प्रयोगशाला, मैसूर आयरन एंड स्टील फैक्ट्री, श्री जयचमराजेंद्र पॉलिटेक्निक संस्थान, बैंगलोर एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी, स्टेट बैंक ऑफ़ मैसूर, सेंचुरी क्लब, मैसूर चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एवं यूनिवर्सिटी विश्वैश्वरैया कॉलेज ऑफ़ अभियांत्रिकी की स्थापना करवाईl इसके साथ ही और भी अन्य शैक्षिणक संस्थान एवं फैक्ट्री की भी स्थापना उनके द्वारा की गईl विश्वैश्वरैया ने तिरुमला और तिरुपति के बीच सड़क निर्माण के लिए योजना को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थीl

 गरीब परिवार में जन्मे विश्वैश्वरैया ने देश ही नहीं दुनियाभर में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। 1955 में विश्वैश्वरैया जी को भारतरत्न से सम्मानित किया गया। उनके नाम पर डाक टिकट भी जारी हुआ था। विश्वैश्वरैया का बिहार से गहरा नाता रहा है। बिहार की पटना में उनके नाम से विश्वैश्वरैया भवन भी है। पटना जिले के हाथीदा के पास बना राजेंद्र सेतु इसी कर्मयोगी की जीवटता की मिसाल है। वे 92 साल की उम्र में भी साइकल से पुल निर्माण के काम को देखने के लिए जाया करते थे। संसाधनों की कमी के बावजूद उन्होंने लगभग दो किलोमीटर लंबे इस पुल के सपने को साकार कर दिखाया। यह दोमंजिला पुल गंगा नदी पर बना बिहार का रेल सह सड़क पुल है, जो उत्तर बिहार को दक्षिण बिहार से जोड़ता है। डॉ विश्वैश्वरैया ने जल वितरण, सड़कों, संचार व सिंचाई के लिए सैकड़ों परियोजनाएं बनाईं।

व्यक्तित्व

ü  विश्वैश्वरैया जी बहुत साधारण तरह के इन्सान थेl

ü  विश्वैश्वरैया जी एक आदर्शवादी, अनुशासन प्रिय व्यक्ति थेl वे शुद्ध शाकाहारी और हर प्रकार के नशे से बहुत दूर रहते थेl

ü  विश्वैश्वरैया जी समय के बहुत पाबंद थे वे 1 मिनट भी कही लेट नहीं होते थेl

ü  वे हमेशा साफ सुथरे कपड़ों में रहते थे, उनसे मिलने के बाद उनके पहनावे से लोग जरुर प्रभावित होते थेl

ü  वे हर काम को परफेक्शन के साथ करते थे यहाँ तक की भाषण देने से पहले वे उसे लिखते और कई बार उसका अभ्यास भी करते थेl

ü  वे एकदम स्वस्थ रहने वाले इन्सान थेl 92 साल की उम्र में भी वे बिना किसी के सहारे के चलते थे और सामाजिक तौर पर एक्टिव भी थेl

ü  वे अपने कार्य के प्रति इतने समर्पित थे कि अपने काम को ही पूजा मानते थेl अपने काम से उन्हें बहुत लगाव थाl

ü  उनके द्वारा शुरू की गई बहुत सी परियोजनाओं के कारण भारत आज गर्व महसूस करता हैl उनको अगर अपने काम के प्रति इतना दृढ विश्वास एवं इक्छा शक्ति नहीं होती तो आज भारत इतना विकास नहीं कर पाताl

ü  भारत में उस समय ब्रिटिश राज्य था तब भी विश्वैश्वरैया जी ने अपने काम के बीच में इसे बाधा नहीं बनने दियाl उन्होंने भारत के विकास में आने वाली हर रुकावट को अपने सामने से दूर किया थाl

 

जिंदगी में हर कदम पर उन्होंने समय की पाबन्दी पर पूरा ध्यान रखा। उन्हें प्रत्येक कालखंड के सबसे महान अभियंता के रूप में जाना जाता है जिन्होंने अभियांत्रिकी के क्षेत्र में अपने दृष्टिकोण और समर्पण के साथ भारतवर्ष के विकास  में अमूल्य एवं असाधारण योगदान दिया और इसी योगदान के कारण उन्हें वर्ष 1955 में भारत के सर्वोच्च पुरस्कार, "भारत रत्न" से सम्मानित किया गया। 14 अप्रैल 1962 को 101 वर्ष की आयु में उनका देहांत हुआl उनका सम्पूर्ण जीवन केवल अभियंताओं के लिए ही नहीं अपितु प्रत्येक व्यक्ति के लिए प्रेरणा का अविरल स्रोत हैl

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