भारत रत्न भूपेन हजारिका... विलक्षण कलाकार जिन्होंने आसाम के लोकसंगीत को विश्व पटल तक पहुंचायाl (जन्मदिवस पर विशेष)

भारत रत्न भूपेन हजारिका... विलक्षण कलाकार जिन्होंने आसाम के लोकसंगीत को विश्व पटल तक पहुंचायाl (जन्मदिवस पर विशेष)


भूपेन हजारिका ने अपने गीतों से भारतीय संगीत की दुनिया में अभूतपूर्व एवं अविस्मरणीय योगदान दिया हैl भूपेन हजारिका विलक्षण प्रतिभा के गीतकार, संगीतकार ही नहीं बल्कि अपनी मूल भाषा असमिया के कवि, फिल्म निर्माता तथा लेखक के रूप में भी जाने जाते रहे हैl भूपेन हजारिका ने समाज के कई गंभीर मुद्दों पर अपनी फिल्मों और संगीत के माध्यम से प्रकाश डाला हैl वे स्वयं गीत, संगीत की रचना करते थे और गायन करते थे इसीलिए भूपेन हजारिका को कलम और आवाज़ का जादूगर माना जाता हैl

तो आज हम जानेंगे रामचन्द्र श्रीवास्तव की जबानी, भूपेन हजारिका जी की कहानीl



जन्म और प्रारंभिक जीवन

भूपेन हजारिका का जन्म 8 सितंबर 1926 को असम के तिनसुकिया जिले की सदिया में हुआ थाl उनके पिताजी का नाम नीलकांत हजारिका तथा माताजी का नाम शांतिप्रिया हजारिका थाl वे बचपन से ही संगीत प्रेमी थेl उनके रोम-रोम में संगीत बसा हुआ थाl मात्र 11 साल की उम्र में उन्होंने अपनी आवाज में अपना पहला रिकॉर्ड बना लिया थाl उनका संगीत के प्रति लगाव अपनी माता के कारण हुआ था  जिन्होंने उन्हें पारंपरिक असमिया संगीत की शिक्षा जन्म घुट्टी के रूप में शिशु अवस्था में ही दे दी थीl 12 वर्ष की आयु में उन्होंने असमिया चलचित्र की दूसरी फिल्म इंद्रमालती के लिए काम भी किया थाl

भूपेन हजारिका ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा गुवाहाटी से पूरी की और इसके बाद बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी से उन्होंने पॉलिटिकल साइंस में अपना ग्रेजुएशन पूरा कियाl स्नातक होने के बाद उन्होंने आकाशवाणी में नौकरी शुरू की और वहीं से स्कालरशिप पाकर 1949 में मास कम्युनिकेशनपर डॉक्टरेट करने के लिए अमेरिका की कोलम्बिया यूनिवर्सिटी चले गए जहां उनकी मुलाकात प्रियंवदा पटेल से हुईl जिसके बाद दोनों  ने 1950 में शादी कर लीl


संगीत का सफ़र

वह भूपेन हजारिका की जिंदगी में एक निर्णायक मोड़ थाl यहां उन्होंने फ़िल्मों के बारे में पढ़ा और सीखाl यहीं इनकी मुलाक़ात फिल्म निर्माता रॉबर्ट स्टेंस और रॉबर्ट जोसेफ़ फ्लैहर्टी से हुईl बाद में भूपेन हजारिका को शिकागो विश्वविद्यालय से फ़ेलोशिप भी मिलीl उसके बाद उन्होंने अपना जीवन संगीत की दुनिया में समर्पित करने का निश्चय कियाl

अपनी किताब धुनों की यात्रामें चर्चित साहित्यकार पंकज राग ने लिखा है कि एक बार अमेरिका के नीग्रो गायक पॉल रॉबसन के साथ गाना सीखने जाने के कारण भूपेन हजारिका को सात दिन की जेल हो गई थी क्योंकि पॉल रॉबसन अश्वेतों के अधिकारों पर लड़ने वाले चर्चित एक्टिविस्ट थेl भूपेन हजारिका पर इस शख्स का इतना ज़बरदस्त प्रभाव था कि उनके गीत ओल्ड रिवर मैनपर 1964 में उन्होंने ब्रह्मपुत्र नदी को अर्पण करते हुए मनुहे मनुहर बाबेकी रचना की थीl ज़बरदस्त इत्तेफ़ाक यह भी था कि भूपेन हज़ारिका की धीर-गंभीर आवाज़ उनके दोस्त पॉल रॉबसन से काफ़ी मेल खाती थीl संभव है कि  भूपेन हजारिका ने गंगा की महानता और विवशता बताने वाले गीत ओ गंगा बहती हो क्योंभी पॉल के गीत से प्रभावित होकर ही लिखा होl वे लोकसंगीत से बेहद प्रभावित थेl वे जब भी लंबी जहाजी यात्राओं पर जाते थे तो स्थानीय लोकसंगीत को समझते और संग्रहित करते जाते थेl


ख़ुद को जोजोबरयानी यायावर मानने वाले भूपेन हज़ारिका का असम के बीहू, बन गीतों और बागानों के लोकसंगीत को लोकप्रिय बनाने में बहुत बड़ा योगदान हैl यही उनकी ताक़त थी और कमज़ोरी भीl वे अक्सर कहते थे कि अगर वे भारत के किसी मध्य या पश्चिमी प्रांत से होते या हिंदी जानते तो ज़्यादा सुने और पसंद किये जातेl ऐसा कहा नहीं जा सकता कि शेष भारत से पूर्वोत्तर की संस्कृति, भाषा और संगीत का अलगाव उनके और ऊंचे उठने में बाधा बना हो पर इतना अवश्य था कि भूपेन हजारिका अगर लोकप्रिय हुए तो प्रांतीय संगीत और गीतों से ही और इसमें सबसे पहले योगदान था, ‘जिबोन मुखी गानशैली काl रोज़मर्रा की घटनाओं को संगीत में ढालना इस विधा की ख़ासियत हैl सुमंत चट्टोपाध्याय इस विधा के प्रवर्तक कहे जा सकते हैं और भूपेन हजारिका इसे आगे ले जाने वालेl

अपनी मूल भाषा असमी के अलावा भूपेन हज़ारिका ने हिंदी, बंगाली समेत कई अन्य भारतीय भाषाओं में गायन करके लोकप्रियता प्राप्त कीl भूपेन हजारिका ने अपने जीवन में करीब एक हजार गाने गाए हैं और 15 किताबें लिखी हैंl भूपेन हजारिका का साहित्यिक रूप उनके संगीत में अलग ही मिठास लाता हैl


फ़िल्मी सफ़र

हिंदी फ़िल्मों में उनका सफ़र आरोप’ (1974) से शुरू हुआ थाl इस फ़िल्म के गीत मध्यम दर्जे की लोकप्रियता पा सके लेकिन एक गीत नैनों में दर्पण है, दर्पण है कोई देखूं जिसे सुबहो शामकाफी लोकप्रिय रहाl इस गाने में किशोर कुमार के साथ लता मंगेशकर थींl लता जी का किसी संगीतकार की पहली ही फिल्म में गा देना यह भी बताता है कि बुद्धिजीवी भूपेन हज़ारिका के संगीत का दायरा कितना बड़ा था और कितना बड़ा उनका व्यक्तित्व थाl वैसे लताजी को ख़ुद अपना गाया हुआ असमिया भाषा का सबसे पसंदीदा गीत भी भूपेन हजारिका का ही बनाया गीत जोना कोरे राति, आखो मी रे माटीथाl


1972 में नेफ़ा का नाम अरुणाचल प्रदेश हुआ और वह केंद्र शासित प्रदेश बनाl इस पृष्ठभूमि पर अरुणाचल सरकार ने 1976 में एक फ़िल्म बनाई - मेरा धरम मेरा देश जिसमें संगीत के साथ-साथ फ़िल्म का निर्देशन भी भूपेन हजारिका ने ही कियाl इसमें उन्होंने अरुणाचल का लोक संगीत इस्तेमाल किया थाl 1985 में कल्पना लाज़मी ने एक पलनिर्देशित की और इसका संगीत भूपेन हजारिका का ही थाl लताजी के गाए हुए दो गाने छुपके छुपके हम पलकों में कितनी सदियों से रहते हैंऔर जाने क्या है जी डरता हैबड़े ख़ूबसूरत गीत थेl यह फ़िल्म भी काफ़ी चर्चित हुई थीl

भूपेन हज़ारिका की सबसे ज़्यादा चर्चित संगीतबद्ध फिल्म थी कल्पना लाज़मी की रुदाली’ (1994)l इसके लगभग सभी गीत मशहूर हुए थेl दिल हुम हुम करेउनके असमिया गीत बुकु हुम हुम करेका हिंदी रूपांतरण था जिसमें बोल गुलज़ार के थेl वहींसमय ओ धीरे चलोमें राजस्थानी संगीत की परछाई दिखती है और यह गीत भी बड़ा ज़बरदस्त बन पड़ा थाl


पुरस्कार

भूपेन हजारिका को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया जा चुका हैl

  • भूपेन हजारिका को 1975 में सर्वोत्कृष्ट क्षेत्रीय फिल्म के लिये राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गयाl
  • 1992 में सिनेमा जगत के सर्वोच्च पुरस्कार दादा साहब फाल्के सम्मान से सम्मानित किया गयाl
  • 2009 में असोम रत्न और इसी साल संगीत नाटक अकादमी अवॉर्ड से नवाज़ा गयाl 
  • 2011 में पद्म भूषण जैसे प्रतिष्ठित पुरस्कार से सम्मानित किया गयाl
  • 2011 में बांग्लादेश सरकार ने उन्हें मुक्ति योद्धा अवार्ड से सम्मानित कियाl
  • 2019 में मरणोपरांत इन्हें देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गयाl
     

भूपेन हजारिका असम के स्थापित साहित्यकार भी थे और उन्होंने कई क़िताबें प्रकाशित कींl 5 नवंबर 2011 को 85 वर्ष की अवस्था में महाराष्ट्र के मुंबई शहर में भूपेन हजारिका ने अपनी अंतिम सांस लीl वे एक अच्छे व्यक्तित्व के साथ साथ अपनी अनूठी शैली के संगीतकार, कवि, लेखक, गायक के रूप में लोगों के ह्रदय पर राज करते रहेंगेl


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