लौहपुरुष

वो आदमी थे या कोई दरख़्त थे, इरादों से वो बड़े ही सख़्त थे। जिन्होंने दी थी देश को अखंडता, वो दूरदृष्टा और देशभक्त थे।। चुनें गए थे राष्ट्र के प्रधान वो प्रथम, परन्तु त्याग पद को वो महान बन गए। विवेक, सत्यवान और कर्मशील वो, स्वयं ही राष्ट्रधर्म की पहचान बन गए।। ना पद की चाह थी उन्हे, आजाद ही खुश थे। वो कोई और नहीं, वो तो लौहपुरुष थे।।