हाँ सर्वविदित है विजय है सत्य से।



यह आ रही आवाज़ है नेपथ्य से,
हाँ सर्वविदित है विजय है सत्य से।

निःस्वार्थ का भावार्थ है 
कि त्याग दें हम स्वार्थ को,
अपनाएं निज जीवन में हम
सेवार्थ को, परमार्थ को।

जीवन के मूल्यों पर चलें,
जीवन में उच्च विचार हो,
मन में हमारे एकता,
सदभावना और प्यार हो।

ना शर्मसार हों स्वयं के कृत्य से,
हाँ सर्वविदित है विजय है सत्य से।




राम ने रावण को मारा,
पाप पर पाई विजय,
सत्यभाषी हम बनें,
यह है अजर, यह है अजय।

पांडवों से युद्ध में
मारे गए कौरव सभी,
पांडवों ने सत्य का ना
साथ छोड़ा था कभी।

मुख मोड़ लें अधर्म और असत्य से,
हाँ सर्वविदित है विजय है सत्य से।

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