छेड़ो बांसुरी की तान

**छेड़ो बांसुरी की तान ** कोई मीत में मगन, कोई प्रीत में मगन, कोई नृत्य में मगन, कोई गीत में मगन। कोई राग में मगन, तो कोई साज में मगन, खुशी चाहते सभी, बुझाते अपनी अगन। आया बसंत बहार, खिल उठा हर चमन, खुशनुमा लग रहा, आज धरती गगन। खिले टेसू के फूल,चाहे पत्तियों के बिन, केसरिया रंग से पूरा, खिल गया ये वन। बौराने लगे आम , गूंजती है कोयल की तान, खुशबू बिखेरती है, मदमस्त हो पवन। प्रकृति की ये छटा, बढ़ाए मन की तपन, मन बहक बहक जाए, करे कोई क्या जतन। आओ सखी मिलकर, करें कोई तो यतन, इस प्रेमाग्नि का भला, अब कैसे हो शमन। कृष्ण की राह ही, अब निहारते हर नयन, छेड़ो बांसुरी की तान, मिले दिल को सुखन। रास रंग का वही, भर दो तन में उमंग, चाहतों का चाह से, आज हो जाए मिलन। ✍️ विरेन्द्र शर्मा