चुनाव के बाद का पल
**चुनाव के बाद का पल**
धड़कने अब, बढ़ रही है,
बैठे हैं, थामे दिलों को।
ऊंट किस, करवट टिकेगा,
यही चिंता, सब दलों को।
जिसने अपना, धन लगाया,
तन लगाया, मन लगाया।
आने को परिणाम, अब तो,
बेचैनी ने, उनको सताया।
नोट के, बदले बिके हैं,
वोट कितना, कौन जाने।
जीत का सेहरा, जो पहने,
कसौटी में, खरा तब मानें।
अभी तो जां, अटकी हुई है,
मन भी कुछ, भटका हुआ है।
हर पल, लगता सदी सा,
समय मानो, थम सा गया है।
कर्म किया है, तुमने अपना,
फल की चिंता, अब करो ना।
मुझमें अपनी, श्रद्धा रख्खो,
पाने खोने से, अब डरो ना।
✍️ विरेन्द्र शर्मा "अवधूत"
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