मां शारदे
बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर,ज्ञान की
अधिष्ठात्री....
मां सरस्वती को सादर समर्पित....
मां शारदे …मां शारदे…मां शारदे…मां शारदे!
करुणामयी अपार है, तू ज्ञान की भंडार है,
हम तो घिरे अज्ञान से,तू ज्ञान दे के तार दे!
मां शारदे …मां शारदे…
अगणित दोषों से युक्त हम,तम से घिरे रहते सदा,
तू हाथ सिर पर फेर दे,अपना हमें दुलार दे!
मां शारदे …मां शारदे…
अविरल तुम्हारी भक्ति हो,भूले से ना विरक्ति हो,
नित नए सृजन हो ज्ञान का, ऐसा हमें उपहार दे!
मां शारदे …मां शारदे…
सारे अंधेरे दूर हों, बस भक्ति की सरिता बहे,
कला से जग शोभित रहे, तू नित नए श्रृंगार दे!
मां शारदे …मां शारदे…
✍️ विरेन्द्र शर्मा "अवधूत"
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें