फूले फलें ध्वज के तले
।। फूले फलें ध्वज के तले।।
चाहूं शांति चहुं ओर हो,
कहीं ना कोई शोर हो।
प्रेम की सदा सरिता बहे,
मस्त आनंद में मन मोर हो।
न्याय का सर्वत्र साम्राज्य हो,
भाई चारे का व्यवहार हो।
एक दूसरे से यदि हो भी तो,
बस मीठी ही तकरार हो।
सौहार्द का वातावरण बने,
कटुता कहीं भी ना दिखे।
जो भी आपसी मन मुटाव हो,
हृदय तल से अब मिटे।
विचारों में नित बदलाव हो,
न कहीं कोई तनाव हो।
सबसे मिलें सदा मिलकर रहें,
अपनेपन की मीठी छांव हो।
बस इतनी सी है आरजू,
चमन में अमन चैन कायम रहे।
गगन में तिरंगा लहराता रहे,
सब फूले फलें ध्वज के तले।
✍️ विरेन्द्र शर्मा
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