छाँह मिल जाएगी
दिनांक: 27/05/2025
विषय: छाँह मिल जाएगी
जहाँ चाह वहाँ राह, ढूंढनी पड़ेगी छाँह,
चाह दमदार हो तो, छाँह मिल जाएगी।
है खुद पे विश्वास तो, हुनर तेरा खास तो,
तेरे मन की संपत्ति, कहीं नहीं जाएगी।
लगातार जो चलेगा, हाथ कभी ना मलेगा,
मान तू मंजिल तेरी, तुझे मिल जाएगी।
माना कि प्रतीक्षा हुई, ये भी एक शिक्षा हुई,
जिंदगी से सीख लेगा, बात बन जाएगी।
कर्म पे है अधिकार, फल छोड़ दे उधार,
एक दिन मेहनत, तेरी रंग लाएगी।
अच्छा व्यवहार तेरा, सब से ही प्यार तेरा,
अच्छी आदतें ही तुझे, जग में जिताएगी।
कितनी भी ऊंचाई हो, अन्दर में सच्चाई हो,
परिस्थिति कोई भी हो, तुझे न गिराएगी।
"राम" की तू बात मान, तू लगा दे पूरी जान,
फिर कोई भी ना शक्ति, तुझे रोक पाएगी।
स्वरचित मौलिक रचना
रामचन्द्र श्रीवास्तव
कवि, गीतकार एवं लेखक
नवा रायपुर, छत्तीसगढ़
6263926054
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