भूला ही नहीं तुझे
मातृ दिवस पर…
।।भूला ही नहीं तुझे।।
मां तुझ पर, लिक्खूं मैं क्या,
तूने ही तो, लिखा मुझे।
सांसों की, पहली धड़कन से,
नित्य ही, महसूस किया तुझे।
इस जगत की, पहली झलक,
तेरी आंखों से, पाया मैने।
तुझसा कोई भी, जीवन में,
दूजा और नहीं, पाया मैने।
मूक ही आया, था मां मैं,
तूने ही तो बाचाल किया।
नव सुधा ढाल, वक्षस्थल से,
तुमने तो मुझे, निहाल किया।
जीवन का, पहला कदम भी,
तेरे दम पर, ही रख पाया।
तेरी उंगली, थाम के माता,
आज यहां तक, हूं आया।
तेरी गोदी में, सर रखते ही,
फिक्र न कोई, होती थी।
मुझे सुलाने,की खातिर तुम,
रात रात ना, सोती थी।
मैं तुझमें था, तुम मुझमें हो,
यह बात समझ, में आती है।
भूला ही नहीं, मां तुझे कभी,
फिर याद, कहां से आती है।
✍️ विरेन्द्र शर्मा
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