जल गई सोने की लंका


          

।।जल गई सोने की लंका।।


जल  गई  सोने  की  लंका, पूंछ  भी जल  पाई ना,

दूत थे  हनुमान  उनके,अग्नि  जिसने  पैदा  किया।


हनुमान  को  वानर जो  समझे,वो  बड़ा नादान  है,

सूर्य  को  भी निगल जाता,बजरंगबली भगवान हैं।


मिले न जब तक राम वे,खुद को भी ना जानते थे,

भक्त बने  जब  राम के, तब  विश्व  ने जाना  उन्हें।


राम  की  सेवा में तत्पर,दुष्टों के लिए  महाकाल हैं,

पवन के  प्रिय पुत्र  हैं जो, मां अंजनी  के  लाल हैं।


भक्त सब  कुछ त्याग जब,भगवान से जुड़ जाते हैं,

भगवत कृपा होती है ऐसी,भगवान ही कहलाते हैं।


स्वार्थ  अपना  त्याग जो,परमार्थ  में  लग जाते  है,

भक्त शिरोमणि  हनुमान की, कृपा  दृष्टि वे पाते हैं।


✍️ विरेन्द्र शर्मा

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