तुम क्यों न उनको पूजते


 .    ।।तुम क्यों न उनको पूजते।।


तुम्हें क्या,

तुम  तो  सो  रहे, चैन  से  आराम  से।

तुम्हें क्या,

तुम्हें  तो  मतलब, है  अपने  काम  से।


तुम्हें क्या,

तुम्हारी  अमन, चैन  बस  कायम  रहे।

तुम्हें क्या,

फिर  मुल्क  में  कोई,   जिए  या  मरे।


तुम्हें तो,

बस  सुबह  चाय  की, चुस्की  चाहिए।

तुम्हें तो,

शाम  को काजू और, व्हिस्की  चाहिए।


तुम्हारे लिए,

हर  घटना  महज,  एक  समाचार  है।

तुम्हारे लिए,

अखबार  भी,मनोरंजन  का आधार है।


क्यों न हो,

तुम्हें  सुखी,  रहने   का  अधिकार  है।

क्यों न हो,

तुम्हारी  सेवा  में, स्वयं  पालनहार  है।


पर क्यों नहीं,

उस   परवरदिगार  को,   तुम  जानते।

क्यों नहीं,

सामने  होते  हुए  भी, उन्हें पहचानते।


जो रात भर,

जागें बिना पलकें झपकाए,प्रहरी बने।

रक्षा में,

तुम्हारी, अपनी  ही लहू  से  भी  सने।


जो संकल्प से,

रक्षा में  तुम्हारी, प्राण प्रण  से जूझते।

क्यों न तुम,

उन्हें साक्षात, ईश्वर  समझ कर पूजते।


जय हिंद ! जय हिंद की सेना !! 🇮🇳


✍️ विरेन्द्र शर्मा

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