सूरज की तरह
. **सूरज की तरह**
सूरज की तरह, चलना होगा,
औरों के लिए, जलना होगा।
सब अपने हैं, कोई गैर नहीं,
यह भाव नित्य, भरना होगा।
सुख दुख तो, आनी जानी है,
जीवन की, अमिट कहानी है।
आज को, जी लो जी भर के,
कब मौत आ जाए,किसने जानी है।
पर मत भूलो, अमिट हो तुम,
ईश्वर की रचना, अमित हो तुम।
जो किरदार मिला, करते जाओ,
पर याद रखो, असीमित हो तुम।
✍️ विरेन्द्र शर्मा
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