अपना घर
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अपना घर
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घर बनाना और घर पाना,
हर किसी की ख्वाहिश होती है।
अपने घर का मालिक बनना,
हर किसी की चाहत होती है।
घर नहीं होने का दर्द उनसे पूछिए,
जिनके पास घर नहीं।
खुद की दीवारें, खुद की छत,
खुद का दर नहीं।
अपने घर की कुछ यादें,
कुछ सपने होते हैं।
सपने में घर, बागवानी,
सब अपने होते हैं।
जिनके पास अपना घर नहीं,
उनके सपने चकनाचूर होते हैं।
हकीकत में वो सपनों से,
बहुत ही दूर होते हैं।
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स्वरचित मौलिक रचना
अर्चना श्रीवास्तव
कवयित्री
नवा रायपुर, छत्तीसगढ़
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